अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:

अहिंसा परमो धर्मः
धर्म हिंसा तथैव च:


अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है,
और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !!
जब जब धर्म(सत्य) पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना)

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